मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स को 45 दिन का टाइम दिया है. ये टाइम उस पर लगाए गए भारी भरकम लाखों रुपये के जुर्माने को जमा करने के लिए दिया गया है. कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स भी शेयर मार्केट में लिस्टेड एक कंपनी है, जिसकी वजह से उसकी अनियमिताओं पर सेबी की नजर रहती है. इसलिए उस पर जुर्माना भी लगाया गया है. क्या है मौजूदा मामला?

जमा करने हैं पूरे 25 लाख

MCX पर सेबी ने 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. एमसीएक्स पर ये जुर्माना उसके पेमेंट और उनके डिस्क्लोजर से जुड़े मु्द्दों को लेकर लगाया गया है. एमसीएक्स ने अपने ऑपरेशन के लिए सॉफ्टवेयर सर्विसेस लीं, उनका पेमेंट किया. लेकिन सेबी के मुताबिक इन पेमेंट को लेकर कंपनी ने जो डिस्क्लोजर किया, वह पर्याप्त नहीं था. इसलिए उस पर जुर्माना लगाया गया है. सेबी के आदेश में कहा गया है कि एमसीएक्स को ये राशि 45 दिन के भीतर जमा करानी है.

एमसीएक्स ने किसे किया पेमेंट?

एमसीएक्स का यह मामला ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कॉन्ट्रैक्ट के लिए 63 मून्स टेक्नोलॉजीस को किए गए पेमेंट और उसके डिस्क्लोजर में हुई चूक से जुड़ा है. 63 मून्स टेक्नोलॉजीस को पहले फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज इंडिया लिमिटेड के नाम से जाना जाता था.

एमसीएक्स ने 2003 में 63 मून्स टेक्नोलॉजीज के साथ एक ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कॉन्ट्रैक्ट किया था. उस समय 63 मून्स के ही पास एमसीएक्स का पूर्ण स्वामित्व था. वर्ष 2020 में एमसीएक्स ने एक नए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर जाने का फैसला किया और इसका कॉन्ट्रैक्ट टीसीएस को दे दिया.

हालांकि नया प्लेटफॉर्म टाइम पर शुरू नहीं हो पाया और एमसीएक्स ने 63 मून्स के साथ ही अधिक लागत पर अपनी सेवाओं का विस्तार किया. इसके लिए उसने कंपनी को किए जाने वाले हाई-वैल्यू पेमेंट का डिस्क्लोजर नहीं किया, जो सेबी की नजर में आ गया और कंपनी पर जुर्माना लगा दिया गया.

सेबी ने अपने आदेश में कहा कि तीन तिमाहियों (अक्टूबर 2022-जून 2023) में यह भुगतान कुल 222 करोड़ रुपये है. यह राशि वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी के लाभ से लगभग दोगुनी थी, फिर भी इसका खुलासा जनवरी 2023 में ही किया गया.