खत्म हो रहा राज्यपाल मिश्र का कार्यकाल....दिल्ली से बने रहने के संकेत
जयपुर । राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र का कार्यकाल पूरा होने वाला है। 9 सितंबर 2019 से वे राजस्थान के राज्यपाल हैं, लेकिन इसके पहले 22 जुलाई 2019 को उन्हें हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था। इसके बाद राज्यपाल के रूप में उनका पांच साल का कार्यकाल 22 जुलाई 2024 को पूरा हो रहा है। राजस्थान में अब नए राज्यपाल की नियुक्ति होना तय है, लेकिन बताया जा रहा है कि केंद्र फिलहाल नए राज्यपाल की नियुक्ति के मूड में नहीं है। इस वजह से मिश्र ही इस पद पर बने रहने वाले है।
राज्यपाल मिश्र को 22 जुलाई के बाद भी राजस्थान के राज्यपाल के रूप में काम करने के संकेत दिल्ली से मिल चुके हैं। इसकारण 22 जुलाई को कार्यकाल पूरा होने के बावजूद भी उनके आगे के कार्यक्रम शेड्यूल हो गए हैं। शनिवार 27 जुलाई को जयपुर के संस्कृत विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह होने वाला है। यह कार्यक्रम राज्यपाल कलराज मिश्र की अध्यक्षता में होना तय हुआ है।
83 वर्षीय राज्यपाल मिश्र को लंबा राजनैतिक अनुभव है। वे पिछले 60 साल से सार्वजनिक जीवन में हैं। 46 साल पहले 37 वर्ष की आयु में यानी वर्ष 1978 में मिश्र राज्यसभा सदस्य चुन लिए गए थे। इससे पहले वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक और जनता पार्टी के युवा संगठन जनता युवा मोर्चा में वरिष्ठ पदाधिकारी के रूप में कार्य करते रहे। मिश्र तीन बार राज्यसभा सांसद रहे और फिर एक बाद यूपी में विधान परिषद के सदस्य भी चुने गए। वर्ष 2014 में लोकसभा सांसद बनकर नरेंद्र मोदी कैबिनेट में मंत्री भी बने। लंबे राजनैतिक अनुभव के चलते केंद्र उनके अनुभवों का लाभ लेना चाहती है। इसकारण उनकी जिम्मेदारी फिलहाल बढ़ने की तैयारी है। संविधान में प्रदत्त नियमों के मुताबिक राज्यपाल का पद अधिकतम पांच वर्ष का होता है। लेकिन पांच साल का कार्यकाल पूरा होते ही उन्हें पद से हटाना जरूरी नहीं है। अनुच्छेद 156 के अनुसार राज्यपाल अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा । परन्तु राज्यपाल, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी, तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है। यानी कि जब तक नए राज्यपाल की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक मौजूदा राज्यपाल कार्यरत रहने के नियम हैं। सबसे ज्यादा समय तक राज्यपाल के पद पर रहने का कीर्तिमान पद्मजा नायडू के नाम है। वे 11 साल तक पश्चिम बंगाल की राज्यपाल रहीं थी।