जामिया मल्लिया इस्लामिया में दो पीएचडी छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के खिलाफ लाइब्रेरी के पास दो दिन से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उन्हें कालकाजी पुलिस स्टेशन ले जाया गया।

छात्रों के प्रदर्शन पर क्या बोला जामिया प्रशासन?
जामिया प्रशासन ने एक बयान जारी कर कहा है कि छात्र परिसर में शिक्षा का माहौल खराब कर रहे थे। उससे कक्षाएं बाधित हो रहीं थीं। अवैधानिक तरीके से छात्र लाइब्रेरी के बाहर हड़ताल पर बैठे थे। इसलिए उन्हें हटाया गया है।

इन छात्रों ने पिछले दो दिनों में विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुक्सान पहुंचाया है जिसमें सेंट्रल कैंटीन भी शामिल है और सुरक्षा सलाहकार के गेट को तोड़ दिया। इसके बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा। 

छात्रों ने पुलिस पर लगाया ये आरोप
कालकाजी थाने के बाहर धरने पर बैठे आइसा संगठन के छात्रों ने पुलिस पर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से 20 छात्रों को गायब करने का आरोप लगाया है। वहीं, छात्रों के आरोप पर पुलिस का कहना है कि हमारे पास कोई छात्र नहीं हैं।

पुलिस सूत्र के हवाले से बताया कि विश्वविद्यालय ने दावा किया कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने कैंटीन सहित विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और सुरक्षा सलाहकार के कार्यालय का गेट तोड़ दिया, जिससे प्रशासन को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

जामिया के बाहर भारी संख्या में तैनात अर्ध सैनिक बल। 
पुलिस सूत्रों के अनुसार, विश्वविद्यालय ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए छात्रों को विरोध स्थल से हटाने को लेकर पुलिस हस्तक्षेप का अनुरोध किया था।  विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुरोध मिलने के बाद हमने सुबह करीब 4 बजे 10 से अधिक छात्रों को हटा दिया। इसके अलावा, कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए परिसर के बाहर भारी पुलिस सुरक्षा तैनात की गई है।

क्या है मामला?
वर्ष 2019 में जामिया में हुई फायरिंग के विरोध में पीएचडी के दो छात्र बरसी मनाना चाह रहे थे, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें इस आयोजन की अनुमति नहीं दी थी। इजाजत नहीं मिलने के बावजूद छात्र अपने साथियों के साथ कार्यक्रम कर रहे थे, इसे लेकर विश्वविद्यालय की ओर से छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।

नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर विश्वविद्यालय कार्रवाई करना चाहता था, इस बीच लाइब्रेरी के पास छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसे लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस से हस्तक्षेप की मांग की। इस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए छात्रों को हिरासत में लिया।